व्ही. के. मूर्ती : वो अपने समय से बहोत आगे चल रहे छायाचित्रकार थे 📽️
How Gurudutt’s Iconic back lit shot in film PYASA was picturised
Memory : How DOP V K MURTHY tried his hands at Videography first time
मै मेरा पेहला job कर रहा था शाम बेनेगल जी के साथ स्टिल फोटोग्राफर के तौर पर और वहा व्ही. के. मूर्ती जी सिन्माटोग्राफर थे तब. वो पेहली बार ‘व्हीडीओ फॉरमेट’ पर काम कर रहे थे और किसी नवजवान की तरह व्हीडिओ के नये तंत्र को समझने की कोशिश कर रहे थे। ये मेरा सौभाग्य है की मैने उन्हे छायाचित्रण करते हुवे देखा है।
मूर्ती जी को सिगरेट की लत थी । कैमरा फोकस करते हुवे वो सिगरेटके को होठोंसे हलकासा पकडे रखते ।जब वो बोलते तो सिगरेट लपलपाती। सिगरेट ऐसी नजर आती की कब गिरे । सिने कैमरे में साऊंड और दृश्य अलग अलग टेप पर रेकॉर्ड होते है लेकिन व्हीडिओ शूट थी तो साउंड और फील्म दोनों एकही रेकॉर्डरपर रेकॉर्ड हो रहे थे। Start sound !!…Rolling !! इस तरह दो ही कॉल दी जाती .. इसके बीच में फिल्म फोटोग्राफी में जो Roll Camera !!यह तीसरा कॉल होता है वो दीया नहीं जाता था । मूर्ती जी इस कॉल के लिये वेट करते रेहते जब की साउंड रेकॉर्डीस्ट की Rolling !! इस कॉल पर कैमरा शुरू होना अपेक्षित होता । शुरूवात की कुछ दिक्कत के बाद मुर्तीजीने इस नये VDO घोडे को भी काबू में कर लिया था। गुरू पद पर पहूंचे इस बहोत बडे तंत्रज्ञ को किसी नौसिखे की ऊर्जा से नया तंत्र आत्मसात करते देखना मेरे लिये जीवन की बहोत बडी सीख रही।
उनके स्मरण दीन पर व्ही के मूर्तीजी को सादर प्रणाम
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